Punjab: पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य के उपयुक्त जिलाधिकारियों से निर्देशित किया है कि वे पराली प्रबंधन के मामलों को कम करने के लिए एक स्थायी अभियान चलाएं और किसानों को पराली प्रबंधन के महत्व के बारे में जागरूक करें।
मुख्यमंत्री की बैठक
सोमवार को फसल अवशेष निपटान की तैयारियों के संबंध में जिला मजिस्ट्रेटों के साथ एक बैठक में, मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए एक सशक्त अभियान चलाया जाना चाहिए। इसके साथ ही, किसानों को पराली प्रबंधन मशीनों पर उपलब्ध सब्सिडी की सही जानकारी दी जानी चाहिए। यह जानकारी किसानों को उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद कर सकती है।
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कस्टम हार्वेस्टिंग सेंटर की स्थापना
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को यह बताया जाना चाहिए कि वे कस्टम हार्वेस्टिंग सेंटरों (CHCs) के माध्यम से पराली प्रबंधन पर खर्च को कम कर सकते हैं। इससे पराली जलाने के खिलाफ लड़ाई को एक जन आंदोलन में बदलने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, पंचायतों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर कस्टम हार्वेस्टिंग सेंटरों की स्थापना करने का भी निर्देश दिया गया है।
कृषि मशीनरी के लिए आवेदन
मुख्यमंत्री ने बताया कि कृषि और किसान कल्याण विभाग ने फसल अवशेष प्रबंधन अभियान 2024-25 के तहत सब्सिडी लेने के लिए इच्छुक किसानों से आवेदन आमंत्रित किए हैं। 20 जून 2024 तक 63,904 आवेदन कृषि मशीनरी के लिए प्राप्त हुए थे। जिलों की मांग पर, यह पोर्टल 13 से 19 सितंबर 2024 तक फिर से खोला गया, और इस अवधि में कुल 1.07 लाख आवेदन प्राप्त हुए।
मशीनों का वितरण
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों को 14,000 मशीनें और जिलों में कस्टम हार्वेस्टिंग सेंटरों को 1,100 मशीनें प्रदान करने का लक्ष्य रखा है। यह कदम किसानों को बेहतर उपकरण उपलब्ध कराने और पराली जलाने की समस्या को सुलझाने में मदद करेगा।
‘उन्नत किसान’ मोबाइल एप्लिकेशन
सरकार ने ‘उन्नत किसान’ नाम का एक मोबाइल एप्लिकेशन भी लॉन्च किया है, जिसके माध्यम से किसान आसानी से फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) मशीनें प्राप्त कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस एप पर 1.30 लाख से अधिक CRM मशीनों को किसानों के लिए मैप किया गया है।
इस एप के माध्यम से किसान अपने निकटतम कस्टम हार्वेस्टिंग सेंटरों (CHCs) से मशीनें बुक कर सकते हैं और उनकी सुविधा के लिए गांव स्तर के नोडल अधिकारी या क्लस्टर हेड से भी संपर्क कर सकते हैं।
पराली जलाने का प्रभाव
पराली जलाने की समस्या पंजाब के कृषि क्षेत्र के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। इस समस्या के कारण न केवल पर्यावरण प्रदूषण होता है, बल्कि यह किसानों के स्वास्थ्य और उनकी फसल उत्पादन क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। जब किसान पराली जलाते हैं, तो इससे जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण और मिट्टी की गुणवत्ता में कमी होती है।
जागरूकता अभियान की आवश्यकता
इसलिए, सरकार की यह पहल किसानों के लिए महत्वपूर्ण है। जागरूकता अभियान के माध्यम से, किसानों को यह समझाना जरूरी है कि पराली जलाने के दुष्परिणाम क्या हैं और वे किस प्रकार बेहतर विकल्प चुन सकते हैं। इसके अलावा, उन्हें यह भी बताया जाना चाहिए कि कैसे वे सब्सिडी के माध्यम से नई मशीनों का लाभ उठा सकते हैं।
अपेक्षित परिणाम
अगर सरकार द्वारा शुरू किए गए अभियान को सही ढंग से लागू किया जाता है, तो इससे पराली जलाने की घटनाओं में कमी आ सकती है। किसानों को जब सही जानकारी और साधन प्रदान किए जाएंगे, तो वे खुद को इस समस्या से बचा सकेंगे और पर्यावरण के प्रति जागरूक बनेंगे।
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